रविवार, 19 जुलाई 2009

ये कौनसा नया रंग है

भारतीय राजनीती के ये भी रंग है
आज तो औरत की ही औरत से जंग है
कांग्रेसी रिता को सोनिया का संग है
दूजी और माया बहन दबंग है
ऐसा कोहराम मचाया देवियों ने
चारों दिशाओं की शांति भंग है
एक की बेबाक बयानी तो
दूसरी के पलटवार का ये भी ढंग है
पूजनीय थी जो देवों की वे आज
हमारी राजनीती में धदंग है
अपुन का तो समझ से परे है
हमारी संस्कृति का ये कौनसा अंग है
यूँ ही देखेगा अक्खा पब्लिक तमाशा
क्या वर्ल्ड का टॉप डेमोक्रेसी इतना अपंग है

गुरुवार, 16 जुलाई 2009

आईना देखकर तसल्ली हुई,

कभी कभी जिंदगी में हमें कुछ लाइने पसंद आने लगती है और इसे किस्मत का खेल कहो या फिर हालातों का असर हमें उन्ही पंक्तियों की परछाई अपने जीवन में भी दिखाई देने लगती है. पता नहीं आपके साथ एसा कितनी बार हुआ है जैसा मेरा ख्याल है मेरे साथ तो कुछ मर्तबा ऐसा ही हुआ है आपके लिए ताजा सा उदाहरण पेश कर रहा हूँ शायद उसके बाद आप भी मेरी बात से सहमत हो सकें.
कभी कभी जिंदगी में हमें कुछ लाइने पसंद आने लगती है और इसे किस्मत का खेल कहो या फिर हालातों का असर हमें उन्ही पंक्तियों की परछाई अपने जीवन में भी दिखाई देने लगती है. पता नहीं आपके साथ एसा कितनी बार हुआ है जैसा मेरा ख्याल है मेरे साथ तो कुछ मर्तबा ऐसा ही हुआ है आपके लिए ताजा सा उदाहरण पेश कर रहा हूँ शायद उसके बाद आप भी मेरी बात से सहमत हो सकें. आजकल आर सिक्सटीन में गाना काफी चलता है एक दिन नेट पर बैठे बैठे हमने भी एक पुराणी पसंद का गाना नेट से डाउनलोड किया वह गाना था. जगजीत सिंह की आवाज में उनके मरासिम एलबम का शानदार गीत जो गुलजार ने लिखा है 'दिन कुछ इसे गुजरता है कोई जैसे अहसान उतरता है कोई.........
पता नहीं इस गज़ल को मैंने कितनी बार सुना होगा लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ जैसा आजकल होता है. हु यूँ की किसी काम से मेरा डिपार्टमेन्ट जाने का हुआ तो पता चला की नए बैच की क्लासेस शुरू हो गयी है. डिपार्टमेन्ट में कई चेहरे देखने को मिले मगर उनमे कोई जाना पहचाना नहीं लगा. जो हालत थे उनको देखकर मरासिम की ये पंक्तियाँ जेहन में ताजा हो गयी _ _ _ आईना देखकर तसल्ली हुई, हमको इस घर में जनता है कोई ............ये अहसास आपको कितनी बार हुआ है पता नहीं या कब होगा यह भी पता नहीं मगर ख्वाहिश यही है की जिस आईने में लोग अपना कद और निखर देखने जाते है उसकी रोनक ऐसे ही बरकरार रहे क्योंकि अगर ये आईने ही न रहे तो हम को अपने ही घर में पहचानेगा कौन? खैर मेरी उम्मीद है कि आपको मेरी बात न सही मेरी भावनाए समझ मई आ गयी होगी नहीं आई हो तो और अच्छी बात है. आखिर में डिपार्टमेन्ट का हिस्सा बने हमारे परिवार के सभी नए साथियों का एक बार फिर से मेरी तरफ से स्वागत और शुभ कामनाएं.
किसी भी तरह की परेशानी होने पर यहाँ बात कर सकते है

किसी भी तरह की परेशानी होने पर यहाँ बात कर सकते है ०९९८१७३९१०८

आईना देखकर तसल्ली हुई

कभी कभी जिंदगी में हमें कुछ लाइने पसंद आने लगती है और इसे किस्मत का खेल कहो या फिर हालातों का असर हमें उन्ही पंक्तियों की परछाई अपने जीवन में भी दिखाई देने लगती है। पता नहीं आपके साथ एसा कितनी बार हुआ है जैसा मेरा ख्याल है मेरे साथ तो कुछ मर्तबा ऐसा ही हुआ है आपके लिए ताजा सा उदाहरण पेश कर रहा हूँ शायद उसके बाद आप भी मेरी बात से सहमत हो सकें ।
कभी कभी जिंदगी में हमें कुछ लाइने पसंद आने लगती है और इसे किस्मत का खेल कहो या फिर हालातों का असर हमें उन्ही पंक्तियों की परछाई अपने जीवन में भी दिखाई देने लगती है. पता नहीं आपके साथ एसा कितनी बार हुआ है । जैसा मेरा ख्याल है मेरे साथ तो कुछ मर्तबा ऐसा ही हुआ है आपके लिए ताजा सा उदाहरण पेश कर रहा हूँ शायद उसके बाद आप भी मेरी बात से सहमत हो सकें. आजकल आर सिक्सटीन में गाना काफी चलता है एक दिन नेट पर बैठे बैठे हमने भी एक पुराणी पसंद का गाना नेट से डाउनलोड किया वह गाना था. जगजीत सिंह की आवाज में उनके मरासिम एलबम का शानदार गीत जो गुलजार ने लिखा है 'दिन कुछ इसे गुजरता है कोई जैसे अहसान उतरता है कोई.........
पता नहीं इस गज़ल को मैंने कितनी बार सुना होगा लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ जैसा आजकल होता है। हु यूँ की किसी काम से मेरा डिपार्टमेन्ट जाने का हुआ तो पता चला की नए बैच की क्लासेस शुरू हो गयी है। डिपार्टमेन्ट में कई चेहरे देखने को मिले मगर उनमे कोई जाना पहचाना नहीं लगा। जो हालत थे उनको देखकर मरासिम की ये पंक्तियाँ जेहन में ताजा हो गयी _ _ _
आईना देखकर तसल्ली हुई,
हमको इस घर में जनता है कोई ............
ये अहसास आपको कितनी बार हुआ है पता नहीं या कब होगा यह भी पता नहीं मगर ख्वाहिश यही है की जिस आईने में लोग अपना कद और निखर देखने जाते है उसकी रोनक ऐसे ही बरकरार रहे क्योंकि अगर ये आईने ही न रहे तो हम को अपने ही घर में पहचानेगा कौन?
खैर मेरी उम्मीद है कि आपको मेरी बात न सही मेरी भावनाए समझ मई आ गयी होगी नहीं आई हो तो और अच्छी बात है. आखिर में डिपार्टमेन्ट का हिस्सा बने हमारे परिवार के सभी नए साथियों का एक बार फिर से मेरी तरफ से स्वागत और शुभ कामनाएं.
किसी भी तरह की परेशानी होने पर यहाँ बात कर सकते है
०९९८१७३९१०८

मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

हद हो गई उनकी मुसिफी

अब तो वो भी हमको

बेगानों से लगते है

सूरत ऐसी है के

जेसी जाने पहचाने से लगते है

दोस्त बने है

कुछ ऐसे के दुश्मन पुराने लगते है

गम है उनको मेरी ही वो हमारी

ख़ुशी पर यु आंसू बहाने लगते है

बढ़ है कद शायद

जो निचा दिखाने लगते है

रोज उलझती है यु मुस्किल हर

लम्हा समाधानों से लगते है

रिश्तो को भुनाते है

ऐसे जो मुंसिफ कोई माने लगते है

हद हो गई उनकी मुसिफी

अब तो वो भी हमको

बेगानों से लगते है

सूरत ऐसी है के

जेसी जाने पहचाने से लगते है

दोस्त बने है

कुछ ऐसे के दुश्मन पुराने लगते है

गम है उनको मेरी ही वो हमारी

ख़ुशी पर यु आंसू बहाने लगते है

बढ़ है कद शायद

जो निचा दिखाने लगते है

रोज उलझती है यु मुस्किल हर

लम्हा समाधानों से लगते है

रिश्तो को भुनाते है

ऐसे जो मुंसिफ कोई माने लगते है

सोमवार, 20 अप्रैल 2009

हम वाकई में स्लम डॉग है क्या



यह एक प्रश्न है जो हमारे मन में पिछले कई दिनों से उठा रहा है जबसे मैंने स्लम डॉग मिलेनियर फिल्म को देखा है .फिल्म में वैसे दूसरो को लाख बुराई दिखाई देती हो मुझे फिर भी इसमें एक बहुत बड़ी अच्छाई दिखती है और वह ये है की यह फिल्म हमको इस भारतीय होने का भान करते है यह हमको अहसाह करता है की हम क्या थे और क्या हो गए है.
स्लम डॉग मिलेनियर फिल्म को भले ही विदेशों मे ओस्कर मिल गया हो जिसकी हमारे देश को जनम जन्म से प्यास थी जिसके बिना हमारी योग्यता पर ही प्रश्न चिह्न लग रहा था. खैर जब ऑस्कर के बाद फिल्म मे कम करने वाले बच्चे वापस लौटे तो एक के बाप ने मीडिया से बात न करने पर अपने मिलेनियर के स्टार वर्जन बालक की धुनाई कर दी . इस सब नाटक के पीछे उसके बाप का छपास का रोग था जिसके सहारे वह नाम कमाना चाहता था.
यह तो मालूली सी बात है उससे भी बड़ी चौकाने वाली बात तो पिछले दिनों पता चली जो एक विदेशी अख़बार लाया कि जब उस पत्र के एक संवाददाता ने दुबई का एक रईस बनाकर बात किया तो हमारे देख का एक पिता अपनी बेटी को पहले गोद और बाद मे बेचने को भी तैयार हो गया. हालाँकि मे इस स्टिंग ओपरेशन के विषय में कुछ नहीं कहूँगा मगर हमारी आंखें खोलने के लिए यह सच ही काफी है
हमारे देश में गोद लेना एक सांस्कृतिक परम्परा है. जिसका ममता और भावनाओ से बेहद गहरा ताल्लुक है. गोद लेना एक ऐसी परम्परा है जिसमे कोई भी ऐसा परिवार जो बाल सुख से वंचित होता है वह सामाजिक रीती रिवाजों के साथ मे अपने परिवार के अन्य बंधुओं से उनका बालक ग्रहण करता है और उसके सहारे अपने सरे संस्कारों को पूर्ण करता है
लेकिन मध्यकाल के आते आते हमारे देश मे दत्तक पुत्र के परम्परा का स्वरूप इतना ज्यादा कलुषित हो गया था कि इसके कारन कई युद्ध तक लादे गए और कई परिवारों का समूल नाश हो गया. और अज के दौर मे तो इसके और भी बुरे हाल हो गए. गोद देने के प्रथा का अपना पौराणिक और भावनात्मक महत्व है. गोद देने वाले माता पिता उन लोगों को भी ममत्व का सुख प्रदान करते है के अपने संतान के सुख को उनके साथ बाँटते है यह कार्य इतना आसन नहीं है इसके लिए काफी मजबूत ह्रदय होने के जरूरत है. लेकिन आज इस दौर मे जब सभी रिश्ते बजारू होने के कगार पर आ गए है ऐसे मे किसी से बिना लालच के गोद देने के अपेक्षा करना काफी बेमानी सा लगता है.
पिछले दिनों स्लम डॉग के रुबीना का बचपन मे रोल करने वाली लड़की को बेचने वाले पिता ने जो उदाहरण पेश किया है वह किसी भी मायने मे इंसानियत नहीं माना जा सकता है काम से काम यह यह हमारा देश ही है जहाँ एक और हम मानवता का ढोल पिटते रहते है और दूसरी तरह ऐसा काम करते है जो कुत्तों से भी बदतर है.
क्या अपने कभी सुना है कि किसी कुत्ते ने अपने बच्चे को बेच दिया जो उनको बेचने का काम भी हम ही करते थे आज कुछ और नहीं मिला तो हम अपने बच्चों को ही बेचने लग गए है यह तो निर्ममता के भी पराकाष्ठा है.
आपको लगे या नहीं लगे काम से काम मुझे अब लगने लगा है कि हम वाकई में स्लम डॉग है

सोमवार, 30 मार्च 2009

इल बिल गिल का साया



राणाजी था पे इल बिल गिल का साया ......

अनुराग कश्यप की फिल्म गुलाल के गाने की इन पंक्तियों का matalab मुझे राजस्थान का होते हुए भी समझ में नहीं आया है. वैसे भी अनुराग कश्यप जैसे डायरेक्टरों की क्रियेटिविटी कम से कम मुझे तो समझ में नहीं आती है
उनकी पिछली फिल्म को लेकर मेरे विचारों से इनके कई चाहने वाले पहले ही आहत है जो मेरे अपने विचार है देव डी फिल्म को लेकर क्योंकि उनकी इस फिल्म मई वास्तव में मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया की जो देखाया है उसका मायना क्या है
अब इनकी नयी फिल्म की बात करे तो इसका एक गाना है दूर देश के टावर में घूस जाये रे एरोप्लेन ...........काफी अच्छा गाना है जिसमे जम के अमेरिका की वाट लगायी है अगर इसका अनुवाद अमेरिका वालों को सुना दिया जाये तो वे अनुराग को ओसामा का एजेंट और फिल्म को उसका नया टेप बना कर पेश कर देते.
इसी गाने की एक लाइन है मे कहा गया है कि इल बिल गिल का साया इसका मतलब मेरी समझ से परे है
इसका मतलब क्या हो सकता है हम बस अंदाजा मात्र लगा सकते है मेरे हिसाब से इसके कुछ मतलब इस तरह हो सकते है : -
पहला - अमेरिका के बारे मे बात करे तो कुछ मायने इस तरह हो सकते है एक तो ओबामा का जीतना इस कारन से हुआ क्योंकि उसपर इल बिल गिल का आशीर्वाद था या फिर बुश को जैदी का जूता इस लिए भी पद सका है क्योंकि उनके सर पर इल बिल गिल का साया मंडरा रहा था.
दूसरा :- पकिस्तान को अधर मन कर हम इल बिल गिल को समझना तो इसके मायने और झक्कास निकलते है एक तो बेनजीर का जाना दूसरा मुशर्रफ़ की एइसी की तेसी होना भी इसी का नतीजा हो सकता है जरदारी महोदय के हाथ मे पाकिस्तान की सत्ता के ताज के नाम की बटेर का लग जाना भी इल बिल गिल के साए की वजह से हो सकता है
तीसरा :-
अब हम परदेश को छोड़ भारत की बात करें तो परिभाषाओं में भी व्यापकता आ जाती है
१. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बुढापे में भी तेज तेज दोड़ना और उससे भी तेज जबान चलाना अब इस इल बिल गिल का किया धरा हो सकता है .
२. पीएम् इन वोटिंग और भाजपा के सारथी उर्फ़ श्रीकृष्ण बोले तो लालकृष्ण अडवाणी पर भी इल बिल गिल का साया काफी तगड़ा लगता है . उनपर समय समय पर इल बिल गिल हावी होता रहा है पहले बाबरी मस्जिद को गिरना, फिर भारत में भ्रमण करना इसी का कराया हुआ है पिछले साल पाकिस्तान जाकर वहां की जमीन पर पांव देते ही यह साया उनपर एसा छाया कि उनको अपनी आँखों मे जिन्ना सेक्युलर नजर आ रहे थे उसर फिर जो उन्होंने कहा उसने बवाल पैदा कर दिया. जब उन पर इल बिल गिल का साया आता है उनको मनमोहन सबसे कमजोर प्रधानमंत्री नजर आता है
३. सोनिया जी वैसे तो काफी जिम्मेदार नेता मणि जाती है मगर उनपर भी समय समय पर इल बिल गिल का साया आये बिना नहीं रहता है तब उनको इस देश में हुआ सारा विकास कांग्रेस, अपनी सासु और पति का किया गया प्रतीत होता है तब वो आम आदमी की बात करती है मगर इंग्लिश मे जो उनकी समझ से परे होती है जिनके लिए वह होती है
४. भाजपा माता से भी बड़ा अपना कद नहीं मानने वाले जनता के मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी के साथ हमेश इल बिल गिल चलता है जो पता नहीं उनपर कब हावी हो जाता है गोधरा के बाद जो हुआ वह इल बिल गिल का ही कारनामा लगता है मोदी तो निर्दोष लगते है
५ . पिछले दिनों भाजपा के नए पोस्टर बॉय वरुण गाधी भी इल बिल गिल के साये की चपेट आ ही गए और फिर उनका उनके मुहं पर काबू ही नहीं रहा. उन्होंने भी नरेन्द्र मोदी के क़दमों पर जाकर हिंदुत्व वाद का जो रूप दिखाया है इसे सभी चौंक गए है अब उन पर इल बिल गिल और ज्यादा हावी हो गया है और उन्होंने पीलीभीत जाकर गिरफ्तारी दी है
६. हमारे देश के फिल्म स्टारों पर भी कभी कभार इल बिल गिल का साया आ जाते है जैसे जब यह शाहरूख पर आया है तो वह अमिताभ या फिर आमिर से झगड़ जाते है . जब आमिर को इल बिल गिल का अहसास होता है तो वे शाहरूख नाम का कुत्ता पल लेते है जब सलमान पर इल बिल गिल का आसार होता है तो पहले वो एश्वर्या को कॉल करके गलियां बकते थे अब वो केटरीना को बिना आव ताव देखे झापड़ मर के धुलाई कर देते है
इल बिल गिल के साये के बारे में ये सरे मेरे कयास है अब इसका वास्तविक मतलब क्या होता है कोई जो जनता हो तो बताये
वर्ना तब तक आप भी मेरी तरह इसे ही कुछ कयास लगाकर अपना काम चलाये