अब तो वो भी हमको
बेगानों से लगते है
सूरत ऐसी है के
जेसी जाने पहचाने से लगते है
दोस्त बने है
कुछ ऐसे के दुश्मन पुराने लगते है
गम है उनको मेरी ही वो हमारी
ख़ुशी पर यु आंसू बहाने लगते है
बढ़ है कद शायद
जो निचा दिखाने लगते है
रोज उलझती है यु मुस्किल हर
लम्हा समाधानों से लगते है
रिश्तो को भुनाते है
ऐसे जो मुंसिफ कोई माने लगते है
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