सोमवार, 30 मार्च 2009

इल बिल गिल का साया



राणाजी था पे इल बिल गिल का साया ......

अनुराग कश्यप की फिल्म गुलाल के गाने की इन पंक्तियों का matalab मुझे राजस्थान का होते हुए भी समझ में नहीं आया है. वैसे भी अनुराग कश्यप जैसे डायरेक्टरों की क्रियेटिविटी कम से कम मुझे तो समझ में नहीं आती है
उनकी पिछली फिल्म को लेकर मेरे विचारों से इनके कई चाहने वाले पहले ही आहत है जो मेरे अपने विचार है देव डी फिल्म को लेकर क्योंकि उनकी इस फिल्म मई वास्तव में मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया की जो देखाया है उसका मायना क्या है
अब इनकी नयी फिल्म की बात करे तो इसका एक गाना है दूर देश के टावर में घूस जाये रे एरोप्लेन ...........काफी अच्छा गाना है जिसमे जम के अमेरिका की वाट लगायी है अगर इसका अनुवाद अमेरिका वालों को सुना दिया जाये तो वे अनुराग को ओसामा का एजेंट और फिल्म को उसका नया टेप बना कर पेश कर देते.
इसी गाने की एक लाइन है मे कहा गया है कि इल बिल गिल का साया इसका मतलब मेरी समझ से परे है
इसका मतलब क्या हो सकता है हम बस अंदाजा मात्र लगा सकते है मेरे हिसाब से इसके कुछ मतलब इस तरह हो सकते है : -
पहला - अमेरिका के बारे मे बात करे तो कुछ मायने इस तरह हो सकते है एक तो ओबामा का जीतना इस कारन से हुआ क्योंकि उसपर इल बिल गिल का आशीर्वाद था या फिर बुश को जैदी का जूता इस लिए भी पद सका है क्योंकि उनके सर पर इल बिल गिल का साया मंडरा रहा था.
दूसरा :- पकिस्तान को अधर मन कर हम इल बिल गिल को समझना तो इसके मायने और झक्कास निकलते है एक तो बेनजीर का जाना दूसरा मुशर्रफ़ की एइसी की तेसी होना भी इसी का नतीजा हो सकता है जरदारी महोदय के हाथ मे पाकिस्तान की सत्ता के ताज के नाम की बटेर का लग जाना भी इल बिल गिल के साए की वजह से हो सकता है
तीसरा :-
अब हम परदेश को छोड़ भारत की बात करें तो परिभाषाओं में भी व्यापकता आ जाती है
१. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बुढापे में भी तेज तेज दोड़ना और उससे भी तेज जबान चलाना अब इस इल बिल गिल का किया धरा हो सकता है .
२. पीएम् इन वोटिंग और भाजपा के सारथी उर्फ़ श्रीकृष्ण बोले तो लालकृष्ण अडवाणी पर भी इल बिल गिल का साया काफी तगड़ा लगता है . उनपर समय समय पर इल बिल गिल हावी होता रहा है पहले बाबरी मस्जिद को गिरना, फिर भारत में भ्रमण करना इसी का कराया हुआ है पिछले साल पाकिस्तान जाकर वहां की जमीन पर पांव देते ही यह साया उनपर एसा छाया कि उनको अपनी आँखों मे जिन्ना सेक्युलर नजर आ रहे थे उसर फिर जो उन्होंने कहा उसने बवाल पैदा कर दिया. जब उन पर इल बिल गिल का साया आता है उनको मनमोहन सबसे कमजोर प्रधानमंत्री नजर आता है
३. सोनिया जी वैसे तो काफी जिम्मेदार नेता मणि जाती है मगर उनपर भी समय समय पर इल बिल गिल का साया आये बिना नहीं रहता है तब उनको इस देश में हुआ सारा विकास कांग्रेस, अपनी सासु और पति का किया गया प्रतीत होता है तब वो आम आदमी की बात करती है मगर इंग्लिश मे जो उनकी समझ से परे होती है जिनके लिए वह होती है
४. भाजपा माता से भी बड़ा अपना कद नहीं मानने वाले जनता के मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी के साथ हमेश इल बिल गिल चलता है जो पता नहीं उनपर कब हावी हो जाता है गोधरा के बाद जो हुआ वह इल बिल गिल का ही कारनामा लगता है मोदी तो निर्दोष लगते है
५ . पिछले दिनों भाजपा के नए पोस्टर बॉय वरुण गाधी भी इल बिल गिल के साये की चपेट आ ही गए और फिर उनका उनके मुहं पर काबू ही नहीं रहा. उन्होंने भी नरेन्द्र मोदी के क़दमों पर जाकर हिंदुत्व वाद का जो रूप दिखाया है इसे सभी चौंक गए है अब उन पर इल बिल गिल और ज्यादा हावी हो गया है और उन्होंने पीलीभीत जाकर गिरफ्तारी दी है
६. हमारे देश के फिल्म स्टारों पर भी कभी कभार इल बिल गिल का साया आ जाते है जैसे जब यह शाहरूख पर आया है तो वह अमिताभ या फिर आमिर से झगड़ जाते है . जब आमिर को इल बिल गिल का अहसास होता है तो वे शाहरूख नाम का कुत्ता पल लेते है जब सलमान पर इल बिल गिल का आसार होता है तो पहले वो एश्वर्या को कॉल करके गलियां बकते थे अब वो केटरीना को बिना आव ताव देखे झापड़ मर के धुलाई कर देते है
इल बिल गिल के साये के बारे में ये सरे मेरे कयास है अब इसका वास्तविक मतलब क्या होता है कोई जो जनता हो तो बताये
वर्ना तब तक आप भी मेरी तरह इसे ही कुछ कयास लगाकर अपना काम चलाये

गुरुवार, 26 मार्च 2009

जैसे दूर देश के टावर मे


भाई क्या कहना
पिछले दिनों एक फिल्म आई है गुलाल नाम से तो ये फिल्म होली के हुडदंगी माहौल के जैसी लगती है मगर इसको स्टोरी भी बहुत सारे ट्विस्ट वाली है इस फिल्म में राजस्थान का काफी उम्दा तरीके से चित्रित किया है इसमें एक और जहाँ देश के स्वतान्र्ता संग्राम के साथ रजवाडो की आपसी कलह को बखूबी पेश किया है वाकई में हमारे यहाँ आपसी तकरार नहीं होती तो शायद हम काफी पहले आजाद हो जाते.
इस फिल्म मे डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने सैट साल तक फिल्म को डब्बे में रखकर पकाया है इससे पहले भी उन्होंने ऐसा छौंक मारा है जिसका तड़का सब तरफ महक रहा है अनुराग ने एक तरफ जहाँ इस फिल्म में नए चेहरों को स्थान दिया है वहीँ दूसरी और उन्होंने राजस्थानी परिवेश का चित्रण करके में सभी फ़िल्मी मसालों का उपयोग किया है
इस फिल्म में एक और जहाँ राजस्थानी रजवाडों की परम्पराओं को स्क्रीन पर उतरा है वहीँ दूसरी और उन्होंने देश के सभी कोनो की वर्सेटाइल गालियों और द्विअर्थी संवादों को भरपूर उपयोग किया है इनसे एक अलग ही आसार पैदा करना चाहा है जैसा ओमकारा में विशाल भारद्वाज ने करना चाहा है ओमकारा और गुलाल में एक और समानता है की गुलाल में भी गानों का वाही स्टाइल है जो ओमकारा में है दो एक जैसी फिल्मों मे दो अलग अलग प्रदेशों के राजनीती के रूपों को प्रतूत किया है बस जो फिल्म पहले बनी वो देर से डब्बे से बाहर आई और बाद वाली पहले आ गयी
ओमकारा और गुलाल दोनों में मनोरजन के लिए दो पदेशों के दो तरीकों को बताया है ओमकारा में जहाँ वहां की बाहुबली राजनीती और नाच गाने की परम्परा को बिपाशा ने बखूबी निभाया है वहीँ गुलाल में भी एक ऐसे ही गाने के जरिये राजस्थान की उस परम्परा को छूने का प्रयास किया है जो किसी भी घटना को अंधेड़ की तरह अपने मे समाहित करने की क्षमता रखती है

इस फिल्म में राजस्थान के लोकरंगों और संस्कृति को जिस कदर छुआ है वाकई मैं देखने लायक है इसमें राजस्थान मैं जिस तरह से किसी भी सुख दुःख के क्षण को गीत संगीत मैं पिरोने की क्षमता को दर्शया गया है अमेरिका के वायुयान के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकराने की घटना को भी गीत दूर बखूबी बांध किया है तो दूसरी तरफ इराक में जाकर बुश का टिक जाना भी इस गीत में व्यंग्य के लिए रखा है वास्तव में अगर कोई ठेट राजस्थानी इस गीत को सुने तो वह भी चटकारे के साथ में देश विदेश के घटनाक्रम को संसमरण कर सकेगा यही खासियत इस फिल्म को ठेट राजस्थानी के मरुदेश से करीब से जोड़ती है जो एक उम्दा बनती है राजस्थान को एक बार फिर करीब से देखने और दिखने के लिए निर्माता निर्देशक और लिरिक्स लेखको को धन्यवाद

बुधवार, 25 मार्च 2009

एक बयाँ का सुपरस्टार नेता वरुण गाँधी


भारतीय राजनीती में किसी भी नेता के सुपरस्टार बनाने या फिर सुर्खियों मैं आने के लिए एक बयां ही काफी लगता है और उसके बाद वह पुरे देश की लहर के साथ पार पा जाता है और उससे भी पुराने नेता बस पार्टी की आम सभा मैं अपनी सीट पर शोभा बढ़ने के कम के रह जाते है
भारतीय जनता पार्टी को भी अपने लिए एक नए नेता की जरुरत थी जो देश के युवाओं को अपने साथ करके देश मई पार्टी पा परचम फहरा सके, आखिर कर इस चुनाव ने उनको वो चेहरा दे ही दिया. इस बार एक तरफ पार्टी के वयोवृद्ध नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनीती की मुख्या धारा से किनारा करने मे लगे है तो दूसरी तरफ पार्टी लालकृष्ण अडवाणी को पीएम पद का उम्मीदवार मान कर चल रही है
वहीँ गुजरात का शेर या लोकप्रिय मुख्मंत्री कहे जाने वाले नरेन्द्र भाई मोदी स्टार प्रचारक है कुल मिलकर भाजपा को काफी कुछ मिला है
इन सब से बढ़कर भाजपा को जो उपहार मिला है वह है वरुण गाँधी , जो एक एसा नाम है जो कांग्रेस के गाँधी परिवार के सामने तुरुप का इक्का है जो देश के युवा हिंदुत्व का नया चेहरा है जिसमे आडवानी और नरेन्द्र भाई की तरह ओज और तेज है वरन उसमे अपने पिता के जैसी दृड़ इच्छा शक्ति भी है जिसके दम पर वह किसी भी प्रतिद्वंधि पर भारी पड़ सकते है
वरुण वाले ही पिछले काफी समय से राजनीती मे सक्रीय नहीं रहे है मगर अब देर आये तो दुरुस्त आये . जो भी हो आने वाले समय क़रने वरुण बीजेपी मे बहुत बड़े रिक्त स्थान की पूर्ति करने क़रने सक्षम है.
अब चाहे सोनिया जी कुछ बोले या फिर प्रियंका या राहुल गाँधी वरुण के बयान से चौंक जाये ये तो होना ही था बस अब एक बात तो हमें समझ लेनी चाहिए वरुण के एक बयान ने सम्पूर्ण कांग्रेस के साथ साथ गाँधी परिवार होश उड़ा दिए जो निश्चय ही किसी सिंह गर्जना से कम नहीं है
अब जब भी भविष्य की राहुल के हाथ की बागडोर होगी भाजपा मे भी उन्हें बराबर टक्कर देने वाला होगा. ये बयान बाजी तो अब आम बात होनी है
इसको किसी को सांप्रदायिक मामला मानने की बजे राजनितिक मन्ना चहिये अब एसा ही नहीं सकता था की वरुण भी कोंग्रेस में शामिल हो जाते .
फिर भी एक बयां का नेता कहो या फिर शेर की गर्जना कहो वरुण को देश की सभी ने सुन तो लिया है की अब कोई और भी आया है . . . . . . . . . . . . . . . . .

मंगलवार, 24 मार्च 2009

कुछ बदल जाने दो

आपसे मिलकर बात करना अच्छा लगता है मगर अब वो बात नहीं रही रही पिछले कुछ दिनों मैं बहुत कुछ बड़ा तेजी से बदला है. और अब सभी इसी में लगे है कि सबकुछ बदल जाये और हम भी पूरा बदल जाये मगर जैसे कि पके घडे कि तरह है जिस पर न कोई मिटटी टिकने वाली है. और अपनी चुनरिया पर किसी और का रंग क्या टिकेगा अपना तो रंग ही ब्लॉग की तरह कला है बस दिल साफ है उसी का नुकसान उठाना पड़ता है अब देखते है कब तक ये बदलने का सिलसिला चलता है जब यह रुकेगा तो आपसे तसल्ली से होगी बात होगी