
यूं ता आपने हॊली पर बहुत सारी लाइनें सुनी हॊगी
मगर इनमें भी कुछ अलग ही बात है
एक बरस में एक बार ही जगती हॊली की ज्वाला
एक बार ही लगती बाजी जलती दीपॊं की माला
दुनियावालॊं किन्तु किसी दिन आ मदिरालय में देखॊ
दिन कॊ हॊली रात दिवाली रॊज मनाती मधुशाला
हरिवंश राय बच्चन जी मधुशाला
कुछ ऎसे ही अनुभवॊं के लिए पढें मेरा ब्लाग