मंगलवार, 4 मार्च 2008

मधुशाला की हॊली अब मेरे ब्लाग पर


यूं ता आपने हॊली पर बहुत सारी लाइनें सुनी हॊगी

मगर इनमें भी कुछ अलग ही बात है

एक बरस में एक बार ही जगती हॊली की ज्वाला

एक बार ही लगती बाजी जलती दीपॊं की माला

दुनियावालॊं किन्तु किसी दिन आ मदिरालय में देखॊ

दिन कॊ हॊली रात दिवाली रॊज मनाती मधुशाला


हरिवंश राय बच्चन जी मधुशाला

कुछ ऎसे ही अनुभवॊं के लिए पढें मेरा ब्लाग

1 टिप्पणी:

shodarthi ने कहा…

holi geet to bhut sunai per assi rachna kai liyai danyawad.