शनिवार, 14 जून 2008

बस एक बार आजमाना चाहता हूँ।


मुझे हो गया अपने होने का,

अहसास मैं बस,

यह जान कर ही खुश हूँ।

और मेरा न होने मतलब भी समझता हूँ

फ़िर भी बस एक बार देखना चाहता हूँ । ।

मेरे होने से क्या फर्क था ।

और मेरे ना होने से क्या असर होता है,

बस एक बार अपने को आजमाना चाहता हूँ । ।

ख़ुद की तसल्ली के साथ,

औरों को भी समझाना चाहता हूँ ।

कि मैं हूँ तो क्यो हूँ ,

और नहीं तो भी क्यो नहीं ?

इस बहाने ही सही ये बताना चाहता हूँ ।

इस बार अपने साथ

उनको भी आजमाना चाहता हूँ ।।

4 टिप्‍पणियां:

shivam ने कहा…

bahut achchhe bhai jaan........... lage raho aur aajmate raho.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सही..

इस बार अपने साथ
उनको भी आजमाना चाहता हूँ ।।


-आजमाईये.

अवाम ने कहा…

bhut sahi beta bhut accha likhe ho..

PRAVIN ने कहा…

wah dost aajmao rika kaun hai...
poochho mat aajma lo yahi jindagi hai.