रविवार, 27 जुलाई 2008

घणो चौखो लागो जैपुर

धोरां री धरती रो ताज, अर राजस्थानी री माटी री महक रा साथै मौजोद जैपुर शहर भाई मने तो घणो चौखो लागो । राजस्थान रा वेता खातर पेला जैपुर में ज्यादा रेवा रो तेम कोणी लागो , पण अबके अठे दस दान रेवा रो मोलो मल्यो तो जैपुर ने देखवा रो लाभ लेई लियो है। आमेर ,नाहर गढ़ ,जंतर मंतर अर सिटी पेलेस ने छोड़ ने पुरो शहर देख्यो तो है आमेर अर गलत फेर कदी देखाला बाकि रो काम कर लेवा।
यह तो थी घुमने फिरने की बात भइया अपना पत्रिका डॉट कॉम का कम भी दनादन चल रहा है। बिया अपने को समझ में आ गया है की ब्लॉग नाम के बेटे की माँ है वेबसाइट और पोर्टल उसका बाप है और किसे उसे मेनेज करना है ।
मेरे दोस्तों और पाठकों मिलते है छूटे से ब्रेक के बाद बोले तो सत्ताईस आज है और तीस को हमें यहाँ से उड़ना है ।

1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

"मेरे दोस्तों और पाठकों मिलते है छूटे से ब्रेक के बाद बोले तो सत्ताईस आज है और तीस को हमें यहाँ से उड़ना है "
भाया जेपर पे पोस्ट लिख र कठे उडबा की बातां कर रियो है? जेपर तो भाया भोत जोर को शेर है मन्ने अठे रेह्तां कोई चालीस पेंतालिस बरस होगा पर मन अबार तईं कोणी धाप्यो...फेर कद आवेगों वापस जेपर में?
नीरज