गुरुवार, 16 जुलाई 2009

आईना देखकर तसल्ली हुई,

कभी कभी जिंदगी में हमें कुछ लाइने पसंद आने लगती है और इसे किस्मत का खेल कहो या फिर हालातों का असर हमें उन्ही पंक्तियों की परछाई अपने जीवन में भी दिखाई देने लगती है. पता नहीं आपके साथ एसा कितनी बार हुआ है जैसा मेरा ख्याल है मेरे साथ तो कुछ मर्तबा ऐसा ही हुआ है आपके लिए ताजा सा उदाहरण पेश कर रहा हूँ शायद उसके बाद आप भी मेरी बात से सहमत हो सकें.
कभी कभी जिंदगी में हमें कुछ लाइने पसंद आने लगती है और इसे किस्मत का खेल कहो या फिर हालातों का असर हमें उन्ही पंक्तियों की परछाई अपने जीवन में भी दिखाई देने लगती है. पता नहीं आपके साथ एसा कितनी बार हुआ है जैसा मेरा ख्याल है मेरे साथ तो कुछ मर्तबा ऐसा ही हुआ है आपके लिए ताजा सा उदाहरण पेश कर रहा हूँ शायद उसके बाद आप भी मेरी बात से सहमत हो सकें. आजकल आर सिक्सटीन में गाना काफी चलता है एक दिन नेट पर बैठे बैठे हमने भी एक पुराणी पसंद का गाना नेट से डाउनलोड किया वह गाना था. जगजीत सिंह की आवाज में उनके मरासिम एलबम का शानदार गीत जो गुलजार ने लिखा है 'दिन कुछ इसे गुजरता है कोई जैसे अहसान उतरता है कोई.........
पता नहीं इस गज़ल को मैंने कितनी बार सुना होगा लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ जैसा आजकल होता है. हु यूँ की किसी काम से मेरा डिपार्टमेन्ट जाने का हुआ तो पता चला की नए बैच की क्लासेस शुरू हो गयी है. डिपार्टमेन्ट में कई चेहरे देखने को मिले मगर उनमे कोई जाना पहचाना नहीं लगा. जो हालत थे उनको देखकर मरासिम की ये पंक्तियाँ जेहन में ताजा हो गयी _ _ _ आईना देखकर तसल्ली हुई, हमको इस घर में जनता है कोई ............ये अहसास आपको कितनी बार हुआ है पता नहीं या कब होगा यह भी पता नहीं मगर ख्वाहिश यही है की जिस आईने में लोग अपना कद और निखर देखने जाते है उसकी रोनक ऐसे ही बरकरार रहे क्योंकि अगर ये आईने ही न रहे तो हम को अपने ही घर में पहचानेगा कौन? खैर मेरी उम्मीद है कि आपको मेरी बात न सही मेरी भावनाए समझ मई आ गयी होगी नहीं आई हो तो और अच्छी बात है. आखिर में डिपार्टमेन्ट का हिस्सा बने हमारे परिवार के सभी नए साथियों का एक बार फिर से मेरी तरफ से स्वागत और शुभ कामनाएं.
किसी भी तरह की परेशानी होने पर यहाँ बात कर सकते है

किसी भी तरह की परेशानी होने पर यहाँ बात कर सकते है ०९९८१७३९१०८

1 टिप्पणी:

Ganesh Kumar Mishra ने कहा…

Jagjeet singh ki ye ghazal mujhe bhi kafi pasand hai..."Der tak goonjte hain sannate...jaise humko pukarta hai koi...
tumne apni baat ke madhyam se hum sabhi ki baat kah di...aisa hi kuch ehsaas mujhe bhi hua...
bahut sunder likha hai...shiv
likhte raho...i appreciate that.