मंगलवार, 29 जुलाई 2008

हम तो झोला उठा के चले

दोस्तों जयपुर शहर में अब काफी समय हो गया है और वाही समत इतनी इजाजत नहीं देता है कि अब यहाँ रूका जा सके. सो भइया हम तो यहाँ से झोला उठाके चलने वाले ही है. चल शिवा घर आपने बोले भोपाल .

2 टिप्‍पणियां:

बालकिशन ने कहा…

चलिए मुबारकबाद और शुब्कामनाए कुबूल कीजिये.

Udan Tashtari ने कहा…

भोपाल भी बढ़िया जगह है, शुभकामनाऐं.