रविवार, 13 अप्रैल 2008

सम्मान



माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल के पत्रकारिता विभाग के विभागाद्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह को ठाकुर वेद राम प्रिंट मीडिया एंव पत्रकारिता शिक्षा पुरस्‍कार से समानित किए जाने का निर्णय किया गया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 21 अप्रैल को श्री सिंह को यह पुरस्कार दिया जाएगा। यह पुरस्कार दुनिया भर में कुल्‍लू के शॉल को नई पहचान दिलाने वाले ठाकुर वेद राम के जन्‍म दिवस पर आयोजित एक समारोह में प्रदान किए जाएगा।

स्रोत सर का बोल हल्ला

शनिवार, 12 अप्रैल 2008











बुधवार, 2 अप्रैल 2008

१८७७ में प्रकाशित पहला राजनैतिक पत्र ''हिन्दी प्रदीप'' बंग-भंग आन्दोलन के समय में यह कविता छपने के कारण १९१५ में बंद हो गया।

कुछ डरो, न इसमे केवल इसमे बुद्धि भरम है,

सोचो यह क्या है जो कहलाता बम है।

यह नही स्वदेशी आन्दोलन का फल है,

नही बायकाट अथवा स्वराज्य को कल है।

जब-जब नृप अत्याचार करा करते,

और प्रजा दुखी चिल्लाते ही रहते हैं,

नही दीनों की जब कहीं सुनाई होती,

तब इतिहासों की बात सत्य ही होती।

माधव कहता यह किसका बुरा करम है,

सोचो यह क्या है जो कहलाता बम है।

हमे यह कविता मंगला अनुजा मेडम सप्रे मुसियम वाली ने बताई थी

सोमवार, 10 मार्च 2008

अर्जून बनें फॊटॊगुरू

अर्जून सर ने हम लॊगॊं कॊ इन दिनॊ फॊटॊशाप पढा रहे हैं रॊज कहते है कि प्रॊजेक्टर लगाएंगे मगर इससे पहले तुषार सर लैब से चले जाते है शाम कॊ क्लास हॊने से कम बच्चे ही रहते है इसके उपर जुल्म यह हॊता है कि लगता है कि वॊ एक दॊ जनॊं कॊ ही पढा रहें है बाकि कॊ पका रहें हैं और बच्चे फॊटॊशाप में पता नहीं क्या क्या बना रहें है
हम आपकॊ सब लाइव बता रहें है पढते रहॊ मेरा ब्लाग 24 इन हिन्दी

मंगलवार, 4 मार्च 2008

मधुशाला की हॊली अब मेरे ब्लाग पर


यूं ता आपने हॊली पर बहुत सारी लाइनें सुनी हॊगी

मगर इनमें भी कुछ अलग ही बात है

एक बरस में एक बार ही जगती हॊली की ज्वाला

एक बार ही लगती बाजी जलती दीपॊं की माला

दुनियावालॊं किन्तु किसी दिन आ मदिरालय में देखॊ

दिन कॊ हॊली रात दिवाली रॊज मनाती मधुशाला


हरिवंश राय बच्चन जी मधुशाला

कुछ ऎसे ही अनुभवॊं के लिए पढें मेरा ब्लाग