१८७७ में प्रकाशित पहला राजनैतिक पत्र ''हिन्दी प्रदीप'' बंग-भंग आन्दोलन के समय में यह कविता छपने के कारण १९१५ में बंद हो गया।
कुछ डरो, न इसमे केवल इसमे बुद्धि भरम है,
सोचो यह क्या है जो कहलाता बम है।
यह नही स्वदेशी आन्दोलन का फल है,
नही बायकाट अथवा स्वराज्य को कल है।
जब-जब नृप अत्याचार करा करते,
और प्रजा दुखी चिल्लाते ही रहते हैं,
नही दीनों की जब कहीं सुनाई होती,
तब इतिहासों की बात सत्य ही होती।
माधव कहता यह किसका बुरा करम है,
सोचो यह क्या है जो कहलाता बम है।
हमे यह कविता मंगला अनुजा मेडम सप्रे मुसियम वाली ने बताई थी
1 टिप्पणी:
poem apnai aap mai advitey hai esakai leyai tumhai bhut bhut bdhai ho.
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