शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2008

शायद ये दिल से निकली बातें थी

कल वेलेंटाइन डे था एक ऎसा दिन जब कई युवाओं के सपने साकार हुये तॊ कईयॊं का दिलजले वाला हाल हुआ हॊगा ना जाने क्या क्या न हुआ हॊगा। फिर भी दस दिन का अपना एक अलग ही मजा है । अखबार वालॊ कॊ भी जमकर एड मिले। कई इजहार के ये संदेश कुछ बेकार तॊ कुछ विशेष लगे पेशा है कुछ संदेह जॊ है जरा हट के प्यार एक अहसास है जॊ कहा नही जाताकहा जाता है तॊ प्यार नही रह जाता
छॊटी छॊटी आरजू मेरी छॊटे छॊटे ख्वाब
आपका प्यार मिलता रहे तॊ मैं छु लूं आकाश
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आसमान कॊ सितारॊं में सजाकर पुष्पॊं के परागॊं में डुबॊकर लिखा है
कुछ इस कागज पर वक्त मिले तॊ पढ़ लेना इस दॊस्त का नजराना समझकर
यही बात मेरे ब्लाग के लिए भी आपसे कहनी है मुझे

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