मुझे हो गया अपने होने का,
अहसास मैं बस,
यह जान कर ही खुश हूँ।
और मेरा न होने मतलब भी समझता हूँ
फ़िर भी बस एक बार देखना चाहता हूँ । ।
मेरे होने से क्या फर्क था ।
और मेरे ना होने से क्या असर होता है,
बस एक बार अपने को आजमाना चाहता हूँ । ।
ख़ुद की तसल्ली के साथ,
औरों को भी समझाना चाहता हूँ ।
कि मैं हूँ तो क्यो हूँ ,
और नहीं तो भी क्यो नहीं ?
इस बहाने ही सही ये बताना चाहता हूँ ।
इस बार अपने साथ
उनको भी आजमाना चाहता हूँ ।।
4 टिप्पणियां:
bahut achchhe bhai jaan........... lage raho aur aajmate raho.
बहुत सही..
इस बार अपने साथ
उनको भी आजमाना चाहता हूँ ।।
-आजमाईये.
bhut sahi beta bhut accha likhe ho..
wah dost aajmao rika kaun hai...
poochho mat aajma lo yahi jindagi hai.
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