जनाब कल एक फ़िल्म का सुनकर बड़ा दुःख हुआ ये जानकर नही किवह फ्लॉप हो गई कारण ये था के ये पिक्चर राजस्थान के चित्तोर की महीयसी मीरा के नाम को बदनाम करने का गन्दा तरीका है ।
यदि ये कामेडी है तो इसी कामेडी नहीं चाहिए । जिसमे किसी महान सख्सियत के नाम को धुल मई मिला दिया जाए ।
मदिरा बेदी अपने करियर मैं तो ज्यादा कुछ कर नहीं सकी मगर अब बचे टाइम मेंयही करने मे लगी हुई है ।
मंदिर का यह मजाक उसी इलीट जात का है जिसके तहत आमिर बाप की बिगड़ी औलादे जो भ मिले उन सब का मजाक बनती जाती है ।
यदि ये कामेडी है तो इसी कामेडी नहीं चाहिए । जिसमे किसी महान सख्सियत के नाम को धुल मई मिला दिया जाए ।
मदिरा बेदी अपने करियर मैं तो ज्यादा कुछ कर नहीं सकी मगर अब बचे टाइम मेंयही करने मे लगी हुई है ।
मंदिर का यह मजाक उसी इलीट जात का है जिसके तहत आमिर बाप की बिगड़ी औलादे जो भ मिले उन सब का मजाक बनती जाती है ।
3 टिप्पणियां:
जो ख़ुद बदनाम है वो दुसरे की इज्जत क्या जाने | मंदिरा बेदी को क्या पता मीरां बाई की इज्जत ? इस तरह की घटिया फिल्मों का बहिस्कार ही इनका उचित दंड है |
इतने टची मत बनो यार। यहां तो विनायक वैन से लेकर गणेश छाप बीडी बिकती है।
जिन्हें इज्जत का मतलब ही न पता हो वो बदनामी को क्या समझेंगे.
खेर इसकी सजा उन्हें मिल ही गई अरे भई फ़िल्म पिट गई है न. हा हा हा .
अपने ये सवाल उठाया बहुत ही अच्छा लगा.
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