बुधवार, 16 अप्रैल 2008

क्या लिखु समझ मे नही आता

भोपाल
मेरे प्यारे दोस्तों और साथियों में लिखने के मामले में बड़ा ही आलसी हू । तो फ़िर आप कहेंगे कि ब्लॉग बनाया ही क्यों जानब हमे क्या पता था कि रोज कुआ खोद कर पानी पीना पड़ेगा । हम तो समझे थे एक के सहारे पुरी जिन्दगी गुजर जायेगी ।
अब जमने का ऊसूल हो कुछ ऐसा ही कुछ किया ही नही जा सकता । अब कल कि ही बात है । हमारी मुलाकात कुछ बड़े बड़े ब्लोगरों से हो गई । जनाब जानबूझकर नही, बस अनजाने में , तो पता चला में तो काफी पीछे हूँ । तब मैंने भी सोचा कि कुछ भी करो बेटा
फास्ट ड्राइव करना सीखो ।

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