दोस्तो कहते है कि इंटरनेट आज के ज़माने कि सबसे बड़ी लायब्रेरी है । इसमे कुछ भी बुरी बात नही है
मगर अफ़सोस कभी कभी ये काफी कम पड़ जाता है पूरे गूगल पर सर्च के दोरान मुझे जाने माने राजस्थानी कवि कन्हेया लाल सेठिया जी और उनकी कविता पिथल और पाताल नही मिली। सिर्फ़ गीता कविता वेबसाइट पर किसी का इस कविता के लिए अपडेट करने का कमेंट ही था । आशा है कि जल्द ही कही मिलेगी
मेरी तलाश जारी है ।