गुरुवार, 21 अगस्त 2008

आख़िर उनको आ ही गया, खुदा का बुलावा

लिम्का बुक में सबसे बडी उम्र के व्यक्ति के रूप में दर्जा प्राप्त हबीब मियां भारत के ज्ञात सबसे बुजुर्ग है सफ़ेदकुर्ते पायजामे में साधारण रूप से रहने वाले अपने आप में अद्वितीय है. जो दो बार हज जा चुके है और छह पुश्तों को देख चुके है उनका भी कहना था "खुदा के घर भी नहीं जायेंगे बिन बुलावे के"
और दो दिन पहले वो मुक्कम्मल वक्त आ ही गया जब खुदा को उनको बुलावा भेजना था और उन्होंने बिना किसी देर के इस मुस्किल और तकलीफों से भरी इस दुनिया जिसमे आतंकियों ने जीना मुहाल कर रखा था पल भर में छोड़ दी.
जिंदगी को वे एक पाठ मानते थे, हर साल अपने जन्मदिन को बड़ी धूमधाम से मानते थे, मगर इस बार जब से जयपुर में इस साल के आरम्भ में मई माह में जगह जगह पर ब्लास्ट हुए तो वो टूट से गए.

इस दौरान जयपुर के चांदपोल, छोटी चौपर, त्रिपोलिया बाज़ार, हवा महल, बड़ी चौपर , जोहरी बाज़ार और हनुमान मन्दिर में जो ब्लास्ट हुए वे हबीब साहब को सदमा लगा. उन्हें लगने लगा था की शांत से रहने वाले उनके शहर भोपाल को ये किसकी नज़र लगी है. शायद गुलाबी नगर को किसी की बुरी नज़र लग गई है उन्होंने अपने जम्दीन के जश्न से बचते हुए कहा था जब मेरे शहर का ये हाल हो तो कैसा जश्न? यही हाल उनका अहमदाबाद और दूसरी जगह के ब्लास्ट के बाद हुआ था और वे शायद अन्दर ही अन्दर इन सभी जख्मों से टूटते जा रहे थे.

उम्र के उस पड़ाव में भी उनके दांत बिल्कुल सही थे और उनको कोई बड़ी बीमार नहीं थी संयमित जीवन के मामले में उनका जीवन बड़ा सादा था. उनकी जिन्दगी का सबसे बड़ा पल वह था जब जयपुर में राजस्थान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आने पर पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे कलाम उनसे व्यक्तिगत तौर पर आकर मिले थे, हबीब मियां का जीवन कूल मिला हम सभी लोगों के लिए एक उदहारण है कि उम्र के इस पड़ाव में भी उन्हें देश कि इतनी फिक्र थी जब कई लोग देश में भ्रष्टाचार और आतंकवाद जैसे कुकृत्यों में संलग्न है उनके लिए हबीब मियां का जीवन काफी कुछ सबक देने वाला है..............

2 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अरे! जयपुर में भी भोपाल है?

Udan Tashtari ने कहा…

श्रृद्धांजलि!