
और दो दिन पहले वो मुक्कम्मल वक्त आ ही गया जब खुदा को उनको बुलावा भेजना था और उन्होंने बिना किसी देर के इस मुस्किल और तकलीफों से भरी इस दुनिया जिसमे आतंकियों ने जीना मुहाल कर रखा था पल भर में छोड़ दी.
जिंदगी को वे एक पाठ मानते थे, हर साल अपने जन्मदिन को बड़ी धूमधाम से मानते थे, मगर इस बार जब से जयपुर में इस साल के आरम्भ में मई माह में जगह जगह पर ब्लास्ट हुए तो वो टूट से गए.

इस दौरान जयपुर के चांदपोल, छोटी चौपर, त्रिपोलिया बाज़ार, हवा महल, बड़ी चौपर , जोहरी बाज़ार और हनुमान मन्दिर में जो ब्लास्ट हुए वे हबीब साहब को सदमा लगा. उन्हें लगने लगा था की शांत से रहने वाले उनके शहर भोपाल को ये किसकी नज़र लगी है. शायद गुलाबी नगर को किसी की बुरी नज़र लग गई है उन्होंने अपने जम्दीन के जश्न से बचते हुए कहा था जब मेरे शहर का ये हाल हो तो कैसा जश्न? यही हाल उनका अहमदाबाद और दूसरी जगह के ब्लास्ट के बाद हुआ था और वे शायद अन्दर ही अन्दर इन सभी जख्मों से टूटते जा रहे थे.

उम्र के उस पड़ाव में भी उनके दांत बिल्कुल सही थे और उनको कोई बड़ी बीमार नहीं थी संयमित जीवन के मामले में उनका जीवन बड़ा सादा था.

2 टिप्पणियां:
अरे! जयपुर में भी भोपाल है?
श्रृद्धांजलि!
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