सोमवार, 14 अप्रैल 2008

कन्हेया लाल जी नही मिले

दोस्तो कहते है कि इंटरनेट आज के ज़माने कि सबसे बड़ी लायब्रेरी है । इसमे कुछ भी बुरी बात नही है
मगर अफ़सोस कभी कभी ये काफी कम पड़ जाता है पूरे गूगल पर सर्च के दोरान मुझे जाने माने राजस्थानी कवि कन्हेया लाल सेठिया जी और उनकी कविता पिथल और पाताल नही मिली। सिर्फ़ गीता कविता वेबसाइट पर किसी का इस कविता के लिए अपडेट करने का कमेंट ही था । आशा है कि जल्द ही कही मिलेगी
मेरी तलाश जारी है ।

1 टिप्पणी:

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा…

Both your observations are correct. Undoubtedly, Internet is the biggest library of our time, but unfortunately, we Hindi people have done very little to enrich it. That is why you could not find that great poem from Kanhaiya lal Sethiya.
But, slowly the things are improving.