गॊड़ कछाहा रावठड़ गॊखा जाखा करन्त ।
कह जॊ खानां खान ने बनचर हुआ फिरन्त ॥
अमरसिंह ने यह दॊहा लिखा था पत्र में
रहिम खान कॊ जिसका जवाब उनकॊ मिला वह इस प्रकार था
धर रहसी रहसी धाम खाप जासी खुरमाण ।
अमर विसम्भर उपरॊ राखॊं निहजॊ राण ॥
पातीजॊ दृड़ राखॆ धरम पर तिही राखे करतार ।
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