भारत में लोकतंत्र की स्थापना के बाद यूँ तो कई सारी पार्टियों ने समय-समय पर कई यादगार जीत हासिल की होगी मगर फ़िर भी कई इसी जीते रही है जो हमेशा लोगो के साथ साथ राजनेताओ को याद आती रही है.
इनमे से एक ख़ास जीत थी पिछले चुनावों में गुजरात में मुख्यमंत्री नरेद्र भाई मोदी की एतिहासिक जीत जिसने नरेन्द्र मोदी के कद को भाजपा के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया. कहा तो यह भी जाने लगा की नरेन्द्र मोदी कहीं पार्टी से भी बड़े ना बन जाए मगर मोदी ने कहा था की माँ तो माँ होती है और उसका बेटा कितना भी बड़ा ही जाए हमेशा उसके आगे छोटा ही रहता है. यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की नरेन्द्र मोदी ने यह जीत गुजरात में विरोधी पार्टियों, मुस्लिम समुदायों और कही कही पर तो मिडिया के चरम विरोध के बावजूद भी मैदान जीता था
और वह जीत भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र में हार के बाद की यह बड़ी जीत थी जो सभी की आंखों में बस गई पार्टी के इतिहास में मानक जीत का नवीनतम दर्जा प्राप्त कर चुकी है इससे पूर्व जीत का मानक अयोध्या के बाद मिली जीत को माना जाता रहा था.
इसके बाद आगामी चुनावो के लिए भाजपा ने न सिर्फ़ दुसरे स्थानों पर जीत के लिए नरेन्द्र मोदी को तुरुप के इक्के की भांति इस्तेमाल किया वरन उन्हें पार्टी का बाद "प्रोफेसर" माना गया. अब मध्य प्रदेश में भी आगामी चुनावों में भाजपा शायद कोई कमी नहीं रखना चाहती है इसी के मद्देनज़र भाजपा ने प्रदेश में आशीर्वाद यात्रा के लिए नरेन्द्रभाई मोदी का वाही रथ मंगाया है जिस पर सवार होकर उन्होंने पूरे गुजरात में यात्रा की और अपने विरोधियों के चक्रव्यूह को तोड़ दिया दिखाया.
अब उन्ही की तर्ज़ पर यह रथ मध्य प्रदेश मंगाया गया है जहाँ आज से मुख्यमंत्री को लालकृष्ण अडवाणी यात्रा का आरम्भ कराने वाले है. मगर यहाँ यह बात सोचने वाली है कि रथ यात्रा के मामले में अडवाणी जी की भारत उदय यात्रा का असर उल्टा ही रहा है. अबकी बार अडवाणी के शुकून और नारेद्रभई मोदी के रथ के सहारे शिवराज सिंह को प्रदेश के महाभारत में जीत मिलेगी या नहीं इसका पता तो जनता के बीच चुनावों के बाद ही हो सकेगा
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