गुरुवार, 17 अप्रैल 2008

हम तो है भई जैसे वैसे ही रहेंगे



भोपाल ।
लोकतंत्र है भई हमारे देश मे । आज से नही आज़ादी से ही । हमे तो बचपन मे सिखाया ही यही गया था कभी नेताजी ने तो कभी मास्टरजी ने कि बेटा तिलक जी ने कहा था स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है इसे मे लेकर ही रहूगा । तो दूसरी तरफ़ नेताजी ने बताया कि वोट आपका अधिकार है किसी के बहकावे मे आकर वोट मत देना । ये बात और है कि गाव मे बहकाने वालो मे नेताजी का पहला नम्बर था।
मगर ये नेता जिनको हम ही चुन कर संसद मे जाकर करते क्या है कभी अन्दर रहे तो शोर शराबा करते है कभी कभी तो जुटा मार भी आ जाते है ये जनाब कुर्सी पर बैठते ही कम है । तभी तो ऐसे ही ड्रामा चलता रहता है ।

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