भाई साहब आपको ये मेम तो याद ही होगी
अरेभई कही न कही किसी किताब से तो पढ़ा होगा
भारत की पहली पुलिश आई पी एस अधिकारी कौन थी ?
जनाब हमने तो पढ़ा है डंके की चौट पर कहते है की पढ़ा नही
रत्ता मारा है मास्टर जी के डंडे के आगे सब याद हो जाता था
अब न जाने मास्टर जी भी कहाँ गए और उन्ही की कृपा से प्राप्त हमारी यादस्त भी गायब हो गई ।
तो हम बात कर रहे थे उन मेम कि जिनको हम किरण बेदी कहते है जिन्हें आज भी भारतीय कल्पना चावला के बाद दुसरे नम्बर का आदर्श मानते है ।
फ़िर भी पिछले दिनों जिस तरह से उन्होंने सिस्टम से परेशान होकर अपने को अलग कर लिया वह सब भारतीयों को जरूर सोचने पर मजबूर करना चहिये ।
भाई इस बात को लेकर मुझे तो यही कहना है की उनके साथ सही नहीं हुआ । कल मुझे कही से कागज का ये टुकडा मिल गया जिसने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया सिस्टम को बदल पाना आसन नही है ।
मुझे तो कम से कम उनसे इस दशा की उम्मीद नही थी । इस ख़बर मे लिखा था के समस्या सुलझाने का मंच बनेगा आपकी कचहरी ,सीरियल । अब मेरा आप से पूछना यह है की क्या कोई ऐसी जगह है जहाँ उनके साथ न्याय होगा । उनकी परेशानी किस अदालत मे आवाज पायेगी, या फ़िर उन की उन तक घुट कर रह जायेगी । ये प्रश्न मेरा किरण जी से है , उन रिपोर्टर महोदय उषा श्रीवास्तव जी से है , आप से है आप के दोस्तों से है, उनके दोस्तों से भी है ? हम सभी से ये प्रश्न है ?
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