ड्रेस का विवाद
ओलंपिक के आरम्भ के अवसर पर बीजिंग में आयोजित मार्च पस्त में जब कर्नल राज्यवर्धन सिंह तिरंगा थामे आगे आगे चल रहे थे तो हर किसी हिन्दुस्तानी का सीना गर्व से चौडा हो गया होगा. मगर इसके बाद की खबर सभी भारतियों को ठेस पहुँचने वाली रही जिसमे ये बताया गया की इस परेड में शामिल होने वाले सभी खिलाडियों को विशेष वेशभूषा के लिए कहा गया था मगर वैसा उन्होंने किया ही नहीं था. और बात हम महिला खिलाडियों की करीं तो सानिया मिर्जा और सुनीता राव ने किसी भी नियम का ख्याल नहीं रखा. उन्हें साडी पहनने के लिए कहा गया था मगर वे वहां जींस में मार्च कर रही थी .
इस मामले के बाद कलमाडी साहब को आगे आकर ये दलील देनी पड़ी कि खिलाड़ियों के पास प्रेक्टिस के बाद समय नहीं था कि वे साडी पहन सके वहीं नेहा अग्रवाल की साडी का रंग भी फेशनेबल था. और अब बात उन महाशयों की भी हो जाए जो पूरी तरह से इस समारोह से गायब ही थे जैसे प्रार्थना से ड्रेस के चक्कर में कई बच्चे बंक मार देते है.
जनाब ये हालत बिल्कुल हमारे डिपार्टमेन्ट के जैसे ही है और यही देश के भी. दरअसल बात ये है न की अब हम इतने मोर्डन हो चुके है कि अब चड़े न दूजो रंग वाले हालत है
हम जो है वो बनना नहीं चाहते है और जो नहीं है वह ख़ुद को बताना चाहते है.
अरे भाई हमारे लिबास तो ऐसे इसलिए रखे गए थे कि हम दुनिया को ये दिखा सके कि
हम हिंद देश के निवासी सभी जन एक है, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक है
वहां से लगाकर यहाँ तक हम तो यही चाहते है कि हर उस शक्श के पास ये सदेश जायें कि हम एक है और ये बात हमें चिल्ला कर नहीं कहनी पड़े बल्कि ये बात हमारे कपड़े ख़ुद बोले कि हम एक है .
सोमवार, 11 अगस्त 2008
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2 टिप्पणियां:
सभी को अलग अलग वेशभूषा में देख अजीब तो लग रहा था उस दिन.सहमत हूँ आपसे.
Jaipur se Sanjay: Whenever u visit to Jaipur, plz must visit to Jalmahal. It is a place worth to see but Govt. has handed it over to a pvt. party
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