इसे गिल साहब की किस्मत कहें या फ़िर इंडियन नेशनल गेम का
गेम एक आशा की रौशनी इस रूप में देखने को मिला है कि तेरह साल के बाद भारत की हाकी टीम ने अजलान्शाह टूर्नामेंट के फायनल में स्थान बनाया है । ये समय लगभग उतना ही है जितना की हाकी के सिहासन पर गिल साहब कुंडली मारे बैठे थे । आज शाम को पता चला की हमारी टीम फायनल में हार गए है मगर फ़िर भी कोई गम नहीं है क्योकि आज नहीं तो कल हमारा जलवा कायम होगा । बस मेहनतकरो इंडिया बस लगे रहो इंडिया लगे रहो इस बार न सही अगली बार तो हम ही चक देंगे ।