कल की बात है में कोई अख़बार पढ़ रहा था तो उसमे पढने को मिला की जयपुर के रहने वाले और अपनी उम्र की बदौलत लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाले हबीब मिया अपना इस बार का जन्मदिन जरा भी धूमधाम से नहीं मनायेगे।
अरे मनायेंगे भी कैसे जब उनका गुलाबी शहर खून से और आतंकियों के नापाक इरादों से लाल हो गया। उनका मानना है की जब उनके घर यानि कि जयपुर का ये हाल हो तो वे कैसे जश्न के बारे में सोच सकते है। हम सब को उनकी इस भावना कि कद्र करनी चाहिए कि आज इस उम्र में भी उनमे ये जज्बा है जो शायद हमारे पास है या नहीं हम जानते भी नहीं है ।
आज भी हमारे देश में कई सारे ऐसे युवा है जो अपनी भाग दौड़ भरी इस जिंदगी में इस देश को भुला देता है। हम हमारे देश के प्रति अपने दायित्वों को कितना निभाते है ये तो हमसे बेहतर और कोई नही जानता है।
इस दशा में हबीब मिया जैसे बुजुर्ग को देश के हालातों की चिंता होना स्वाभाविक और जायज दोनों है। अगर उनसे प्रेरणा लेकर अगर एक भी युवा अपने कर्तव्यों और दायित्वों की और मुदेगा तो ये उनकी हमारा सच्चा सम्मान होगा।और फ़िर धीरे धीरे ही हालात सुधरेंगे।