गुरुवार, 29 मई 2008

खलिबली-खलीबलि 'खली' बली नहीं, महाबली

पंजाब दा गबरू पुत्तर अर डब्ल्यूडब्ल्यू ई के चैम्पियन दारा सिंह के रिमिक्स वर्जन दलीप सिंह राणा यानि कि महाबली खली ने इन दिनों दिल्ली से पटियाला और लुधियाना से चण्डीगढ़ दा इलाका विच खलबली मचाये रक्खी है। पुलिस की सेवा छोड़ कर बालीवुड में हीरो बनने नहीं अमेरिका भागे खली की खाल खींचने का ख्वाब देखने वाली पंजाब पुलिस की हसरतें अधूरी ही रह गई। जब उन्होंने ये देखा कि जब मीका के बोडीगार्ड की धमकी का खली पर कोई असर नहीं हुआ। जिसने दारा सिंह को अपना गुरु बना लिया, तमाम मुल्क के बच्चों से लगाकर बडों के लिए भी आइडल बन गया है। तो उससे पंगा लेना उचित नहीं समझा कभी पंजाब पुलिस से तडीपार घोषित खली को सम्मानों से नवाजने का फ़ैसला किया है। जालंधर पहुँचने पर खली का भव्य स्वागत किया गया और पंजाब पुलिस ने पी ऐ पी केम्पस के मरीज पेलेस में स्पोर्ट्स एक्सीलेंस अवार्ड का तमगा दे डाला यहाँ तक की उनके मेनेजर को भी ओबलाइज कर दिया है मगर अब लगता है की खली महाराज भी अमेरिका की हाथपांव तोड़ लड़ाई से तंग आ चुके है।
एक बार इंडिया क्या आए वापस जाने का नाम ही नहीं ले रहे है। बच्चों से मिलना उनके साथ डांस करना और फिल्मों में उछल-कूद करना पता नहीं खली भाई लगता है सठिया गए है।
अरे भाई यहाँ टाइम वेस्ट क्यों करते है। वैसे भी हम अमेरिका से काफी पीछे है। उनसे कई बार हारते है कम से कम हमारी सांत्वना के लिए अमेरिका के दो चार पहलवानों को पछाड़ देते तो मन प्रसन्न हो जाता है। हम लोगों का यहाँ एक चीज तो समझने वाली है कि एक फ्राई डे से अगले तक नहीं चलने वाली इस इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री का ग्लैमर कैसे मोहपाश में बाँध कर किसी अच्छे खासे व्यक्ति को बेकरार कर देता है।
इसी पर शायद किसी ने कहा भी है।
इश्क ने कर दिया बरबाद हमको वरना

हम भी इन्सान थे काम के

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