गुरुवार, 1 मई 2008

गिल साहब का भविष्यफल पंडित मुर्खानंद की जुबानी

भोपाल ,
पिछले कुछ दोनों से मन बड़ा परेशान है, जेब खाली है उपर से कहर बरसता ये मौसम तबियत भी सही नही की जा सकती है। भाई इन सब झंझटों की मर सहते सहते हम तो परेशान हो गए । फ़िर की था हम भी इन्सान ही रहे और इस मसले को हमारे दोस्तों के सभा मैं रखा गया तो हमारे भला नही चाहने वालों ने तो अनदेखा कर दिया कुछ हितेशियों ने गौर फ़रमाया और काफी वाद विवाद और मंत्रणा के बाद हमारे सामने काफी विकल्प रखे । किसी ने कहा वैसाख का महीना आ रहा है कुछ पुण्य करो पंडितों को भोजन कराओ , किसी ने कहा गायों को चारा डालो तो किसी ने यह मत दिया की नागे पाँव देव दर्शन को जाओ। खेर सब के सुझाओं के बाद भी मुझे किसी के प्रस्ताव में ज्यादा दम नही लगा तभी हमारे प्रिया नेताजी जिनको पंडिताई का बड़ा शौक है। पहले जब वो राजनीती नही करते थे तो पार्ट टाइम में यज्ञ अनुष्ठान करवाया करते थे। वैसे से तो आज भी उन्होंने कोई कसम नही खाई है अब भी वी बड़ा जजमान देखें तो मुह देखकर तिलक निकलने चले जाते है। भाई वो बोले तो बड़ी देर से मगर लाख टेक की बात बके। के भाई जैसा मेरा मानना है कि इन दिनों गृह दशा काफी प्रतिकूल चल रही है। और मेरी बात को सुनकर भी उन्हें मुझ पर ग्रहों का प्रकोप नजर आया।
नेताजी की भावनाओ को मैं भी छुटभैया पत्रकार ठहरा ,समझने मे तनिक भी देर नही लगी मैंने कहा थिक है नेताजी आपके बताये महाराज से जाकर मई जर्रोर मिलूंगा। जिन महाराज की दया से आप हर बार हर कर भी चुनाव जीत जाते है भला उनके पास मेरी समस्या का हल नही हो ऐसा तो हो ही नही सकता है। नेताजी को देख कर मुजे भी आस बंधी की जो राज्य सरकार मैं रहते हुए हर रोज केन्द्र से बजट नही मिलने का रोना रोते रहते है उन्ही नेताजी के पास इलेक्सन के दिनों मे नोटों के भंडार लग जाते है तो को दुह्ख मोर गरीब को जो नही जाट तोहरे नाम से टारो.....भई मेरे मन की श्रद्धा मुझे गुरूजी के पास ले गई। नेताजी ने चुनाव की तर्ज पर यहाँ भी चुनाओं से पहले हमारे लिए गाड़ी लगा दी। रास्ते में नेताजी के कार्यकर्ता ने मुझसे कहा की गुरु के पास खली हाथ जाना अच्छा नही होता। मेरा भेजा खनका मैंने कहा बे वक्त इतना बुरा चल रहा है जेब मे फूटी कोडी नही है क्या ले जाऊँ । उसने हालत की नजाकत को देखते हुए कहा आप कम से कम और कुछ नही तो कम से कम एक दो झूठी मुठी कवरेज स्टोरी का आईडिया तो ले जा सकते है नेताजी के आश्रम का फलां प्रोपर्टी डीलर से लफडा चल रहा है।जनाब फ़िर क्या था हमारा भेजा भी चला और हमने दो चार चांटी मार न्यूज़ बड़ा डाली। तब तक आ गया बाबाजी का आश्रामगेट पर दो चार मुस्टंडे थे नेत्जी के विश्वास पात्र के राम राम के बाद हमे अंदर जाने दिया। भई जरा भी चलना नही पड़ा और हम गुरूजी के आश्राम के बहर जा पहुंचे। चेला बोला आप यहीं बैठे हम गुरूजी को बुला लाते है। पांच दस मिनिट के इंतजार के बाद नेताजी के खास के साथ गुरूजी ने अपने चेलों के साथ दर्शन दिए। गुरूजी आसन पर स्थान लेने के बाद बोले बच्चा तुम्हारा मन काफी परेशां है मगर इब्मे तुम्हारा कोई दोष नही है वक्त की मार से भला कौन बचा है भगवन राम से लगाकर कृष्ण और बड़े बड़े नही बच सके है तो हमारी क्या बिसात है। आने वाला वक्त किसी के लिए भी अच्छा नही कहा जा सकता है। इस साल के आरंभ मे गुरु के पास मंगल आने से सब कुछ उल्टा सीधा हो रहा है। अब हमारे पड़ोसी देश के हिटलर मुशर्रफ़ साहब को ही देख लीजिये किसे मालूम था के उनकी कुर्सी नीचे से सरक जायेगी वर्दी भी उनका साथ छोड़ देगी और कौन जानता था के बेनजीर सबके ऊपर चली जाएँगी।हमने कहा महाराज जरा हमरे बारे मे भी तो कुछ बताएं वो बोले कई लोगों को चुना लगाया है तुमने इस पैसे मे आकर , अब जो हो रहा है तुम्हारी ही करनी का फल है भाई। इसमे कौन क्या कर सकता है। अब अपने गिल साहब को ही ले लीजिये भाई उन्होंने पंजाब के मामले मे हमारी मदद क्या कर दी। हाकी को अपने घर मे काम करने वाली दासी ही समझ लिया जैसे वह उनको दहेज़ मे मिली हों। अरे भाई इंडिया मे जब दहेज़ को लेकर कोई कानून बन चुका है तो फ़िर इनका तो यह काम पुरी तरह से गैर कानूनी ही है ना। भाई बात वाही की वाही है जैसे मुशर्रफ़ साहब ने पाकिस्तान के संविधान के साथ किसी को नही माना गिल साहब के भी वाही हाल रहे। उन्होंने भी तो किसी कानून को नही माना जिसे चाहा बुलाया जिसे चाहा निकला जैसे इंडियन हाकी टीम नही उनकी खाला का घर हो। ये तुम्हारी मेगजीन वाले न जाने कैसे कैसे सर्वे करते है कभी सेक्स तो कभी सबसे आमिर आदमी तो कभी सबसे सुंदर औरत का , एक बार इनको इस सदी के सबसे बड़े तानाशाह की रंकिंग करायी जाए तो पहले नम्बर पर मुशर्रफ़ और दुसरे नंबर पर इंडिया से गिल साहब ही आयेगे।क्या कहूँ गुरूजी का यह ओजपूर्ण उद्बोधन सुनकर मेरा मन तृप्त हो गया। मुझे लगा गुरूजी ग़लत जगह पर अपने समय जाया कर रहे है उनको इससे बढ़िया लुट तो वो राजनीती मे कर सकते है। मैं अपने गम भी भूल गया। मैंने उठ कर कहा गुरूजी मुझे सत्य का ज्ञान हो गया अब मुझे कोई तकलीफ नही है। हमे आघ्या दे कुछ टाइम पास प्रेस मे भी करना होगा वरना एक दिन का पैसा और काट लिया जाएगा। बेटा पैसे का टेंशन तुम मत लो उस ऊपर वाले ने पेट दिया है तो खाना भी वही देगा। उन्होंने अपनी झोली मे हाथ डाला एक मुठ्ठी भरी और नेताजी के चेले को इशारा किया उनसे झट से अंगोछा फैला दिया और उसी स्पीड से समेट लिया इससे पहले की मई कुछ समझता। और बोले बेटा आजकल के मालिक बड़े सयाने हो गए है मजूरी मे भी चिक चिक करते है। तेरे मन की व्यथा को मे समझता हूँ बस तू भी मेरे मन का दर्द समझ जा। दोनों मिलकर हमारे दुखों को कोसों दूर भगा देंगे की वो पास भी न आ सके।तू मेरे दर्द को जानना चाहे तो नेता का छोरा तुझे बता देगा।खैर हम निकल पड़े रस्ते मे नेता के चेले ने बताया ये गुरूजी उसी दर्द की बात कर रहे थे जिस पर गत माह तुम्हारी एक्सक्लूसिव लगी थी ,ये जगह मुन्सिपलिटी वाले उजाड़ , कच्ची बस्ती वाले अपनी , प्रोपर्टी डीलर अपने नाम बताते है जिस पर इन दिनों गुरूजी का कब्जा है। गुरूजी कई सालों से जब से जेल से वापस आए है इज्जत से ज्ञानी के रूप मे यही निवास कर रहे है। तुम्हारे अख़बार मे हर फेस्टिवल पर एड भी देते थे मगर जब से तुमने ये नया प्रेस जों किया है गरीबों के लिए ना जाने क्या लिखते हो। ये कह कर उसने गुरूजी वाली पोटली खोली जिसे देख हम दोनों की आँखों मे चमक आ गई। उनमे एक भी नोट सौ से नीच का नही था नेताजी के चेले के दो पांच सौ की चार पत्तियां उठा कर कहा ये कर टिप्स बाकि गुरूजी की तुमसे मुह दिखाई की सौगात।आगे से उस जगह से बारे मे कोई अस्सिंमेंट मत करना जब भी जेब खली हो बता देनागुरूजी बड़े दयालु और बड़े दिल वाले है ........................................... ।

1 टिप्पणी:

धीरज राय ने कहा…

wah bhaiya thoda chhota likha karo aapna pathak padne wala nahi keval dekhne wala hai.bad baki thik hai