गुरुवार, 8 मई 2008

सब पड़े है सरकार के राज़ के पीछे


भोपाल
भैसों की कतार के बीच में काम करते चार पांच लोगों को ताबड़ तौब आर्डर देता हुआ भइया,
मजदूर दोड-दौड़ कर काम कर रहे है ।
कैमरा को अपने करीब आता देख घूरती आँखों से देख कर अपनी क्लोस अप स्माइल के साथ भैंस, जब कैमरा दूर जाता है तो कैमरा मैन को अपने को फोकस करने का आर्डर देती हुयी सी लड़ती है। वह भैंस हमेशा की तरफ़ बीन की बजाय लेटेस्ट ज़माने के म्यूजिक डायरेक्टरों के चोरी-चकारी के हालीवुड के बेक ग्राउंड म्यूजिक पर भी पगुराती हुयी-सी भैंस जो अब तक जरा भी नहीं बदली है ।
पास ही में एक लकड़ी की आराम फरमाने वाली कुर्सी पर बैठा एक युवक जिसके हाथों में एक कप और प्याली है चीनी मिटटी की जिसमे वह बार बार चाय निकल निकल कर पिता रहता है।
सामने आंखों से दो कदम भर की दूरी पर रखा है एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी जिस पर वह सरकार फ़िल्म देख रहा है उस युवक की पीठ से सट कर एक खम्भा है जिस पर अमिताभ बच्चन का सरकार फ़िल्म का फूल साइज़ का पोस्टर लगा है ।
तभी पीछे से अपना लाफ्टर फेम रतन नूरा जो नौकर होता है कहता है क्या भइया आप दिन भर आप इस फ़िल्म को क्यों देखते रहते है सुबह से आप इस फ़िल्म को चार बार देख चुके है
ठिगने कद का वह युवक अपना यू पी का राजपाल खड़े होकर कहता है
हमका सरकार बनना है पूरे मुम्बई के साथ साथ अंडरवर्ल्ड पर राज़ करना है
मेरे भाई ये तो थी कुछ दिनों पहले मेरे द्वारा देखी गई फ़िल्म अपना सपना मनी मनी का एक कॉमेडी का शोट जिसमें राजपाल को दोन बनने की बड़ी हसरत रहती है । उसके लिए वह क्या क्या करता है ये में तो आपको बाद में कभी बताऊंगा । उससे पहले शायद ये फ़िल्म देख लेंगें अब तो दूरदर्शन पर भी ऐसी फिल्म बड़ी जल्दी बता दी जाती है खेइर ये बात अलग है की उनमे विज्ञापन प्राईवेट चेनलों से भी ज्यादा होते है हमारे सिनेमा का तो कम ही जनता को कामेडी से हँसाना होता ही है मगर पिछले कुछ दिनों से जो चल रहा है वो भी कम मजेदार नहीं है ।

बाला साहब ठाकरे की स्टाइल से प्रभावित होकर रामू एक ऐसी फ़िल्म बना बैठे जो रामू की कम्पनी को आर्थिक, तो सदी के सुपर स्टार बिग बी को राजनैतिक समस्या में डाल गई । हुआ यूं कि इस फ़िल्म से राजपाल जैसे कई युवा इतने प्रभावित हुए कि एंग्री यांग मन कि इमेज के साथ सिने जगत में आने वाले बच्चन साहब के लिए भी तकलीफ दायक बन गए उन जोशीले जवानों ने समझा कि सत्ता के लिए सिनेमा के लिए दो-दो हाथ हो जाए तो क्या कहना ।

अरे भई वैसे भी अब पॉलिटिकल बीट में अब इतना स्कोप ही कहाँ बचा है । इस बीट के पत्रकारों को फ्री के गिफ्ट देने का भी कोई फायदा नहीं है , जब एडिटर राजनीती के हर समाचार को सिंगल कॉलम में लगाने का फतवा जरी कर देता है

भाई जैसा फायदा राजपाल ने कॉमेडी के जरिये फिल्मों में उठाया वैसा ही कुछ मिलता-झूलता लाभ नए ठाकरे साहब ने लेना चाहा है अमिताभ बच्चन को कोन नहीं जनता है देश के हर गाँव में पेप्सी को लॉन्च करना हो तो अमिताभ , झंडू के प्रचार के लिए अमीत जी , यहाँ तक कि प्लस पोलियो तक के जन जन तक पहुँचने के लिए अमिताभ का सहारा लिया जाता है समाजवादी पार्टी का चुनाव प्रचार उनके दम पर चलता है विदेशों में होने वाले आइफा अवार्ड तक जब अमिताभ के नाम आने साथ ही घर घर में देखे जाते है यहाँ तक कि मल्टी स्टारर फ़िल्म ओम शान्ति औम भी उनके बिना नहीं रिलीज होती है तो राज़ ठाकरे को तो मुम्बई के घर घर में ही पहुचना था किसके लिए ? अरे भाई चुनाव आने वाले है और इनको भी एकछत्र सरकार बनने का सा सपना लगता है ।

दूसरी और ये अमिताभ जी है कि इनको भी न जाने इस सरकार बनने कि क्या तलब लग गई है जो छुटाए नहीं छूटती है । जहाँ एक तरफ़ राज़ सरकार बनने के पीछे पड़े हुए है तो अमिताभ जी भी हाथ धोकर सरकार राज़ के पीछे पड़ गए है ।

अब इस उमर में क्या जरूरत है सरकार-वरकार के नवरे चक्कर में पड़ने की मेरी माने तो अब सरकार की छाया के पास भी मत जाइये इसके लिए रामू जी को पुरी तरह से नो थैंक्स कह दीजिये क्योंकि बहुत कठिन है डगर ..................................की ।

अब अमिताभ जी इंडस्ट्री में एक संवेदनशील कलाकार के रूप में स्थापित हो चुके हैं उनके ऊपर से अब वो पुराना वाला एंग्री यांग मेन का लेबल हट चुका है मगर राजनीती के साथ उनकी करीबियों का फायदा लिया है छोटे ठाकरे ने ।

वैसे कहा भ जाता है कि जब शेर सोया होता है तो हर कोई उस पर गुर्रा सकता है मगर राज साहब ये पब्लिक है जो सब कुछ जानती है कितने लोग है आपके साथ जरा गिन कर बता देना मगर एक जो आपको भी पता होना चहिये वह ये कि सच किसी से छुपाये नहीं छुपता है ।

आज देश के हर कोने में बच्चे बच्चे अमिताभ को जानते है और इसी तरह उन तक ये खबर भी पहुँच गई है कि आप क्या कर रहे है अब आप ही सोचिये क्या आप पांचवी पास से ज्यादा ......................नहीं है

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