भईया अब हम तनिक भोजपुरी इस्टाइल मे आ जाते है
कारण के ई बक्त हम हमारा नाहि हमार भोलू भइया याने के परवीन का बारे में बात कर रहे हैं । हमारे वरिष्ट परवीन जी से हम नन्हें मुन्ने बच्चों की हँसी ठिठोली देखि नाहि गई और उन्होंने भी इस ढलती उमरिया मैं अखबारों को पढ़ना छोड़ के अब ब्लॉग लिखने का फ़ैसला किया है ।
जनाब यहाँ तक टू कोई बात नहीं मगर इससे आगे की जो बात हमे आज के न्यूज़ पता चली है कि उन्होंने बच्चों को सही दिशा निर्देशन देने के लिए अपना ब्लॉग बनाया है ।
जिसके द्वारा वे हमारे विभाग के साथ साथ जो भी ब्लॉग मिलेगा उसमे मीन-मेख निकलने का कर्म करेंगे और इस दौरान वे गीता के कर्मन्येवाधिकारास्तू मां फलेषु कदचिने के आदर्श पर कार्य करेंगे ।
आपको बताना तो नहीं चाहिए लेकिन हम बता देते है कि उन्होंने अपने ब्लॉग को बड़ी मेहनत से बनाया दूसरो कि तरह ए सी कमरों में बैठ के नहीं बनाया है, उन्होंने अपनी जेब से पैसे काट कर सायबर केफे में जाकर अपना ब्लॉग लॉन्च किया है । अरे भाई जहाँ एक और भारत और पाकिस्तान चाहे कैसे भी हथियार बना रहे हों मगर जरा सोचे कि क्या हम इस शक्तिशाली मीडिया मध्यम का अंधेरे को मिटने मे कर पा रहे है या नहीं । शायद हम तो जरा भी नहीं । आखिर हम ब्लोग्गिंग को लेकर गम्भीर कब होंगे । मुझे नहीं पता फ़िर भी उम्मीद है कि उम्र के साथ साथ जैसे लड़कपन चला जाता है और गंभीरता आ जाती है उसी तरह हमारे ब्लॉग भी बड़े होने पर गंभीर हो जायेंगे , मगर ये सब इतना आसन नहीं होगा क्योंकि जब तक किसी बच्चा गिरता नहीं है चलना नहीं सीखता है बिना तानो के सबक नहीं मिलता है । आज हम प्रवीण जी की तरह हमारे सभी बडों को ये निमंत्रण देते है कि वे आए तो सही हंस कर या झल्ला कर ही सही , निंदा या फटकर किसी भी बहाने हमे रास्ता तो दिखाए । और दिखाए एक राह जिस पर चल कर हम कुछ कर सके मगर कोई हो तो सही ना । जो हमे चलना सिखा सके हमारी अंगुली पकड़ कर चलना सिखा सके समझा सके निन्दा कर सके हमारी ताकि हम
आपही होत सुहाय जैसे बन सके ।
चलते-चलते आपको भी बता देते है । उनके ब्लॉग का नाम है ब्रह्मास्त्र अभिव्यक्ति का ।
भाई यू आर एल तो उनको याद नहीं रहा जब वो बता देंगे तो हम आपकी सेवा मैं पेश कर देंगे फ़िर भी खैर अब आप जरा संभल के क्योंकि पता नहीं ये ब्रम्हास्त्र कहाँ जा रहा है कहीं आप से न टकरा जाए ये दिशा हीन अस्त्र जिसे ब्लॉग कहते है
गुरुवार, 8 मई 2008
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