शुक्रवार, 2 मई 2008

सौरभ गांगुली और वॉर्न पर जुर्माने की बन्दर बाँट

बचपन में मैंने किसी क्लास में एक कहानी पढी थी की एक बार एक जंगल में दो बिल्लियों में कसती मी से चुराई गई रोटी को लेकर झगडा हो जाता है तो वे अपने झगडे को सुलझाने के लिए जंगल के किसी बुध्धिमान बन्दर को बुलाती है बन्दर एक तराजू मांगता है और दोनों की रोटियों को एक एक तरफ़ के पलडे में रख देता है ओर जिसके हिस्से में ज्यादा रोटी होती है तोड़ तोड़ कर खाता जाता है ये बंटवारा तब तक चलता रहता है जब तक दोनों बिल्लियों की रोटी ख़त्म नही हो जाती है अब आप ये कहेंगे की मैं ये कहानी आपको बोले तो बुद्धिजीवी लोगों को क्यों बता रहा हूँ तो जनाब इसकी भी वजह है पिछले दिनों आई पी एल सीरीज़ का चीयर लीदेर्स पर पॉलिटिकल लीडर्स का बखेड़ा बंद होने कगार पर ही था कि मुक्के और झापड़ मार प्रदेश और ग्रेट खली तथा नवजोत के टीम इंडिया मी चेले मने जाने वाले भज्जी और श्रीसंत का मामला ठंडा ही हुआ था कि दादा के नाम से जाने जाने वाले सौरभ भाई ने शेन वार्न को धमका दिया . होना क्या था मामला मीडिया ने दिखाया तो रेफरी ने सबकी वाट लगा डाली . उसने किसी को भी नही छोडा अगर उनका बस चलता तो स्टेडियम के साथ साथ घर मैं बैठ कर टीवी देखने वालों तक पर कोई न कोई कानून लगा कर फाईन लगा देते. उनका कम बन्दर मामा के जैसा ही लगता है कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान सौरभ गांगुली को अपने व्यवहार की क़ीमत चुकानी पड़ी है. मैच रेफ़री इंजीनियर साहब ने नई इंजिनीरिंग का गणीत लगते हुए उन पर मैच फ़ीस का 10 फ़ीसदी जुर्माना लगाया है. उस समय गांगुली 49 रन पर खेल रहे थे और पठान के गेंद पर उनके बल्ले से उछले कैच को जयपुर राजस्थान रॉयल्स के लिए खेल रहे दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रैम स्मिथ ने लपका. लेकिन गांगुली ने अंपायर प्रताप कुमार को ये फ़ैसला तीसरे अंपायर के पास भेजने को कहा, जो राजस्थान रॉयल्स के कप्तान शेन वॉर्न को बुरा लगा था इसी के साथ राजस्थान रॉयल्स के कप्तान शेन वॉर्न पर भी मैच फ़ीस का 10 फ़ीसदी जुर्माना लगाया गया है. क्योंकि वे मैदान पर शेन वॉर्न ने भी अपना ग़ुस्सा दिखाया था और मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी जमकर बोले गांगुली के साथ साथ स्पोर्ट्स भावना के चक्कर में अम्पायर को भी नही बख्शा गया उनपर गांगुली के कहने पर मामला तीसरे अंपायर को भेजने के कारण अंपायर प्रताप कुमार को भी एक मैच के लिए निलंबित कर दिया गया है. मैच रेफ़री के मुताबिक़ प्रताप कुमार को ये मामला तीसरे अंपायर को भेजने से पहले मैदान पर मौजूद दूसरे अंपायर से विचार-विमर्श करना चाहिए था. तो था न ये सब बिसिया क्रिकेट का कमाल और उसपर रेफरी महोदय का काम बन्दर कि बाँट से कम नही कहा जा सकता है

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