गुरुवार, 1 मई 2008

देहरादून की घाटियों में साहित्य का महासंगम





भोपाल।
मेरे उन सभी दोस्तों की यादों से देहरादून का नाम जरा भी धुंधला नही हुआ होगा जो , मेरे साथ इस साल के आरंभ में विज्ञान संचार पर हमारे साथ देहरादून चले थे। उसी उत्तरांचल की राजधानी देहरादून के हरेभरे पहाडों और वहां की घाटियों में आगामी शुक्रवार से दो दिन तक पग-पग पर साहित्य की चमक बनी रहेगी । इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्तर के कई लेखकों के साथ-साथ कई स्थानीय लेखक भी शिरकत करेंगे। इस पर्वतीय लेखन समारोह का आयोजन पेंगुइन इंडिया ने किया है। अंग्रेजी के मशहूर लेखक रस्किन बांड की रचनाओं के हिंदी अनुवाद के पाठ के अलावा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एवं अंग्रेजी के लेखक नवतेज शर्मा के उपन्यास के हिंदी अनुवाद हम यूं आसन ना थे का लोकार्पण प्रदेश के मुख्य सचिव एस के दास करेंगे, वही जिन्होंने हमारी संचार संगोष्ठी का शुभारम्भ किया था ।
प्रसिद्ध कथाकार विद्यासागर नौटियाल के साथ दून स्कूल के हिंदी विभाग के अध्यक्ष मोहम्मद हम्माद फारूकी संवाद करेंगे, जबकि दिल्ली के लेखक बुद्धिजीवी पुष्पेश पंत अंग्रेजी लेखिका इरा पांडे के साथ संवाद करेंगे। इस अवसर पर इरा पांडे अपनी दिवंगत मां एवं हिंदी की मशहूर लेखिका शिवानी का संस्मरण सुनाएंगी। दिल्ली के प्रसिद्ध कथाकार हिमांशु जोशी के साथ स्थानीय लेखक सुभाष पंत हरिदत्त भट्ट शैलेश एवं रमेश पोखरियाल निशंक संवाद करेंगे, जो सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं।

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